از ویکیپدیا، دانشنامهٔ آزاد
سِپِهریِ بُخارایی از شاعران آغاز سده چهارم هجری است. او ستاینده سامانیان بود. از وی تنها شعر زیر به جا مانده است:
شاخهای مورد بررفته ببین و برگهاش |
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برشکسته جعد اندر جعد چون زلفین یار |
بوستانافروز تابان از میان بوستان |
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همچو خونآلوده در هیجا سنان شهریار |
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سدهٔ یکم
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سدهٔ دوم
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سدهٔ سوم
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سدهٔ چهارم
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سدهٔ پنجم
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سدهٔ ششم
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سدهٔ هفتم
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سدهٔ هشتم
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سدهٔ نهم
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سدهٔ دهم
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سدهٔ یازدهم
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